हिमाचल/विवेकानंद वशिष्ठ :- हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत इम्प्लाईज़ एण्ड इंजीनियर्स के ज्वाईंट फ्रंट के आह्वान पर विद्युत मण्डल गगाल के काम्पलेक्स में कर्मचारियों व पेंशनरों ने संयुक्त रूप से प्रदेश सरकार द्वारा बिजली सुधारों के नाम पर गठित की गई कैबिनट सब-कमेटी द्धारा लिए जा रहे निर्णयों के विरोद्ध में भोजनावकाश के समय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया।
इस मौके पर विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन के संयुक्त सचिव पंकज परमार, जिला संगठन सचिव राकेश चौधरी, विपन शर्मा, नादौन इकाई के अध्यक्ष नितिश भारद्वाज, सचिव रजत कौंडल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशीष शर्मा, पेंशनर्स की ओर से ई॰ लाल चन्द परमार, ई॰ एस.एस.चम्बयाल, ई॰ वी॰के॰ शर्मा, राजकुमार चौधरी, विधि चंद सनोरिया ने धरने पर उपस्थित प्रदर्शनकारियों को प्रदेश सरकार द्वारा गठित कैबिनट सब-कमेटी द्वारा पद समाप्ति व आउटसोर्स कर्मचारियों के छंटनी आदेशों को तुरन्त वापिस लेने की मांग करते हुए कहा कि कैबिनट सब-कमेटी एक तरफा निर्णय लेकर के बिजली बोर्ड लिमिटिड व कर्मचारियों के हितों कि खिलाफ निर्णय ले रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित विद्युत बोर्ड इम्प्लाईज़ यूनियन के पूर्व में रहे प्रदेश अध्यक्ष व विद्युत बोर्ड पेंशनर्स फोरम के जिला अध्यक्ष हमीरपुर कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने अपने सम्बोधन में कहा कि बिजली सुधारों के नाम पर गठित की गई सब-कमेटी एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत आगे बढ़ रही है और निर्णय ले रही है। कैबिनट सब-कमेटी, विद्युत बोर्ड लिमिटिड के संचार व जनरेशन ढांचे को निजी कम्पनियों को हस्तातंरित कर विद्युत बोर्ड लिमिटिड के विघटन की तरफ आगे बढ़ रही है जोकि सन् 2010 में प्रदेश सरकार व ज्वाईंट फ्रंट के साथ हुए द्धिपक्षीय समझोते का सरासर उल्लंघन है।
खरवाड़ा ने कहा कि 2010 में जब विद्युत बोर्ड का पनुर्गठन विद्युत बोर्ड लिमिटिड के रूप में हुआ था तो उसका ड्राफ्ट मॉडल तत्कालीन मुख्यमन्त्री प्रेम कुमार धमूल द्वारा ज्वाईंट फ्रंट के प्रतिनिधियों से मांगा था और ज्वाईंट फ्रंट के द्वारा सौंपे गए 77 पेजों के ड्राफ्ट मॉडल पर प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव, ऊर्जा सचिव, बिजली बोर्ड के अध्यक्ष व ज्वाईंट फ्रंट के प्रतिनिधियों के साथ हर पहलू पर बारीकी से अध्ययन करने के लिए कई वार्ताओं के दौर हुए थे और लगभग इस प्रारूप को अंतिम रूप देने के लिए 2 साल का समय लगा था और उस वक्त हुए समझौते में यह भी तय हुआ था कि प्रदेश सरकार ज्वाईंट फ्रंट को विश्वास में लिए बगैर कोई बदलाव नहीं करेगी। लेकिन आज बिना किसी चर्चा के ज्वाईंट फ्रंट को विश्वास में लिए बगैर कैबिनट सब-कमेटी बिजली बोर्ड के ढांचे को तहस-नहस कर बर्बादी की दिशा में आगे बढ़ रही है जोकि अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है।
खरवाड़ा ने प्रदेश के मुख्यमन्त्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू से कैबिनट सब-कमेटी के निर्णयों को निरस्त करने, पुरानी पेंशन बहाल करने, रिक्त पदों के आधार पर नई भर्ती शुरू करने, पेंशनर्स व कर्मचारियों के वित्तिय लाभों की एकमुश्त अदायगी करने और सन् 2010 में हुए समझौते का सम्मान करते हुए कर्मचारियों व पेंशनर्स को विश्वास में लेकर के वार्ता के माध्यम से बिजली सुधारों के लिए आगे बढ़ने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि विद्युत बोर्ड लिमिटिड का मॉडल देश का सर्वाेत्तम मॉडल है और राष्ट्र स्तर पर कर्मचारियों व अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत सरकार से पूरे देश में विद्युत बोर्ड लिमिटिड के मॉडल को लागू करने की मांग कर रही है। अतः सरकार एकतरफा निर्णय लेते हुए वर्तमान सिस्टम के साथ कोई छेड़छाड़ न करे।