SFI ने नशाखोरी व सिंथेटिक ड्रग्स के बढ़ते चलन पर रोक लगाने के लिए एक राज्य स्तरीय अधिवेशन का आयोजन

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   SFI हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी द्वारा हिमाचल प्रदेश के युवाओं में व शिक्षण संस्थानों में लगातार बढ़ रही नशाखोरी व सिंथेटिक ड्रग्स के बढ़ते चलन पर रोक लगाने के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक राज्य स्तरीय अधिवेशन का आयोजन किया गया। इस अधिववेशन में हिमाचल प्रदेश के अलग अलग स्थानों से आए हुए तथा विश्वविद्यालय के लगभग 180 छात्रों व प्रतिभागियों ने भाग लिया।

 

इस अधिवेशन का संचालन SFI राज्य अध्यक्ष *अनिल ठाकुर* ने किया व इस अधिवेशन में वक्ताओं के रूप में ज्ञान विज्ञान समिति से *सत्यवान पुंडीर*, *डॉ. ओ पी भुरैटा*, *डॉ. राजीव*, *उर्मिल ठाकुर* व मनोविज्ञान के भूतपूर्व प्राध्यापक *डॉ. रवि भूषण* उपस्थित रहे।

 

सत्यवान पुंडीर ने *नशे व नशीली दवाओं के दुरुपयोग की बुनियाद और प्रगति* पर अपनी बात रखी। उन्होंने अपनी बात रखते हुए बताया कि आज हमारा पूरा समाज नशे की चपेट में आ रहा है यह सच है कि इसमें ज्यादातर नौजवान शामिल हैं लेकिन बड़ी उम्र के लोगों की संख्या भी कोई काम नहीं। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ये कहा कि किस तरह एक इंसान धीरे धीरे नशे की ओर बढ़ता है और वह नशे के दलदल में घुसता चला जाता है।

 

उन्होंने बताया कि कैसे मनुष्य किसी कारण से लेकर आदत तक नशे की ओर बढ़ता है और नशा किस तरह उसकी पूरी जिंदगी को तहस नहस कर देता है।
डॉ. ओ पी भुरैटा ने अपनी बात *नशे की समस्या की सीमा और मानसिक स्वास्थ्य की अवधारणा* पर अपनी बात रखी। उन्होंने अपनी बात में बताया कि नशा मनुष्य के तंत्रिका तंत्र पर सबसे बड़ा हमला करता है जिससे मनुष्य के अन्य शरीर का उसके मस्तिष्क से संबंध खराब हो जाता है और मनुष्य आनंद महसूर करता है। परंतु मनुष्य इस बात से अपरिचित रहता है कि इससे मनुष्य के शरीर व मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
साथी उर्मिल ठाकुर ने अपनी बात *नशे के उपयोग में माता-पिता, शिक्षकों और साथियों की भूमिका* पर रखी। उन्होंने अपनी बात रखते हुए बताया कि युवाओं और छात्रों में नशाखोरी के लिए
माता-पिता, अध्यापक व संगति की भी बहुत अहम भूमिका है। उन्होंने बताया कि नशे की ओर जाने के क्या कारण रहते हैं, किस किस माध्यम से नशा एक व्यक्ति के पास पहुंचता है। और हमें इस चैन को तोड़ने के लिए क्या क्या प्रयास करने होंगे। हमें समाज में अंतर्वैयक्तिक संबंधों को मजबूत करते हुए खेल, संस्कृति व
डॉ. राजीव ने अपनी बात *नशे के उपयोग की समस्या के समाधान के लिए निवारक उपायों* के बारे में अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि नशे की लत के उपचार के लिए क्या किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का हमारा समाज नशाखोरी में बहुत दूर तक चला गया है और इसमें सुधार करने के लिए हमें अधिक से अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। नशाखोरी में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है और स्कूल तथा कॉलेज के छात्र बहुत ज्यादा संख्या में नशे की चपेट में आ रहे हैं। अगर जल्द युवाओं को नशे से दूर होने के लिए जागरूक नहीं किया गया तो आने वाले समय में भविष्य अंधकार में चला जाएगा।
डॉ. रवि भूषण (मनोविज्ञान के भूतपूर्व प्राध्यापक) ने *नशे के उपयोग के मनोवैज्ञानिक प्रभाव और परिणाम* पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि मनुष्य के नशे की ओर बढ़ने का मनोवैज्ञानिक पहलू क्या है। उन्होंने बताया कि किस तरह एक व्यक्ति नशे के लिए प्रोत्साहित होता है। और नशा मनुष्य पर इतना ज्यादा मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालता है और इतना मजबूर कर देता है कि मनुष्य कई बार आत्महत्या कर लेता है। इसलिए हमें नशे के खिलाफ़ हर किसी को जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें।
अधिवेशन में नशाखोरी के व इससे बचने और नशाखोरी व नशा माफिया पर रोक लगाने के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के युवाओं तथा छात्रों के बीच जागरूकता अभियान चलाने के बारे में भी चर्चा की गई व हिमाचल प्रदेश में लगातार बढ़ रही नशाखोरी के खिलाफ़ अलग अलग अभियान चलाने के बारे में चर्चा की।