हिमाचल/हमीरपुर:- हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग के समक्ष एक टारगेट रखा गया है। बता दें कि ये टारगेट सरकारी स्कूलों में बारहवीं तक शत- प्रतिशत एनरोलमेंट का है। इस संदर्भ में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ हिमाचल सरकार के शिक्षा सचिव की बैठक में टारगेट पर चर्चा हुई। हालांकि हिमाचल में सरकारी स्कूलों में बारहवीं तक छात्रों की एनरोलमेंट का रिकॉर्ड करीब 95 प्रतिशत है, लेकिन इसे शत-प्रतिशत करने का लक्ष्य तय किया गया है। नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी व हिमाचल सरकार के शिक्षा सचिव आईएएस राकेश कंवर व अन्य अधिकारियों की बैठक हुई।
इसमें हिमाचल प्रदेश को ये लक्ष्य दिया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी मंत्रियों को तीसरी टर्म में 100 दिन का रोडमैप पेश करने के लिए कहा है। कैबिनेट मंत्रियों का अपने विभागों में 100 दिन का क्या एजेंडा व रोडमैप है, इस पर पीएम नरेंद्र मोदी सभी से रिपोर्ट लेंगे।
इसी के तहत अन्य मंत्रियों के साथ ही शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी राज्य के शिक्षा विभागों के अधिकारियों व प्रतिनिधियों से बैठकें कर रहे हैं। केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि सभी राज्यों में बारहवीं तक शत-प्रतिशत एनरोलमेंट का लक्ष्य पूरा करना चाहिए। शत-प्रतिशत एनरोलमेंट से तात्पर्य ये है कि जो बच्चा प्राइमरी स्कूल में पहली कक्षा में एडमिशन ले, वो बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी करके ही स्कूल से निकले।
इससे ड्रॉप आउट की समस्या दूर होगी। शत-प्रतिशत एनरोलमेंट के रास्ते में जो बाधाएं हों, उन्हें राज्य सरकार के अधिकारी मिलकर दूर करें। हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी जिले भी हैं और मैदानी जिले भी हैं. यहां हर जिला की अपनी-अपनी दिक्कतें हैं। ग्रामीण इलाकों में स्कूल दूर होने से कई बार बेटियों को पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। कहीं, अभाव व गरीबी के कारण अभिभावक बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं करवा पाते। कई जगह शिक्षकों की कमी कारण होता है। ऐसे में सभी कमियों को दूर करने के लिए प्रयास की जरूरत है। कई जगह कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्कूलों की संख्या पर्याप्त से अधिक है, ऐसे में स्कूलों को मर्ज किया जा सकता है।
शिक्षकों के युक्तिकरण की संभावनाएं भी देखी जा सकती हैं। इसके अलावा बच्चों को सरकारी स्कूलों की तरफ आकर्षित करने के लिए आईटी लैब, इंटरनेट, स्मार्ट क्लासेज, बेहतर फर्नीचर आदि की सुविधा होनी चाहिए। इसके अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ये भी चाहता है कि क्वालिटी एजुकेशन में आधारभूत गणित को भी शामिल किया जाए। कई बार ये देखने में आया है कि जिन सरकारी स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं हैं। वहां के बच्चों को खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेना जरूरी नहीं है। ऐसा नियम लागू किया गया था। इससे भी एनरोलमेंट प्रभावित होती है। अब नए निर्देश जारी किए गए हैं कि जिन स्कूलों में शारीरिक शिक्षक न हों, वहां के बच्चों को भी स्कूल टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति होगी। उनके साथ स्कूल टूर्नामेंट में अन्य शिक्षक जाएंगे. इससे भी एनरोलमेंट पर सकारात्मक असर होगा।
वहीं, शिक्षा सचिव राकेश कंवर के अनुसार, हिमाचल में शिक्षण व्यवस्था व ढांचा अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है। एनरोलमेंट की भी अन्य राज्यों के मुकाबले खास समस्या नहीं है। अलबत्ता जिन क्षेत्रों में सुधार की गुंजाइश है, वहां काम किया जाएगा।
बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 10370 है। इसके अलावा मिडिल स्कूल 1850, हाई स्कूल 960 व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या 1984 है। छोटे पहाड़ी राज्य में 70 लाख की आबादी के लिए ये शैक्षणिक ढांचा काफी बेहतर है। राज्य में सरकारी सेक्टर में डिग्री कॉलेजों की संख्या 148 है। राज्य सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में दर्ज ये आंकड़े दिसंबर 2023 तक हैं।
राज्य में प्राइमरी शिक्षा के लिए कुल दस स्कॉलरशिप योजनाएं हैं। इसी तरह मिडिल व हाई स्कूल के छात्रों के लिए राज्य व केंद्र स्तर पर प्रायोजित स्कॉलरशिप योजनाओं की संख्या 14 है। हिमाचल में राज्य सरकार नौवीं व दसवीं कक्षा के छात्रों को निशुल्क किताबें प्रदान करती है। वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 1,41,956 छात्र-छात्राओं को लाभ मिला है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर का कहना है कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में उच्च मानक स्थापित करने के लिए निरंतर काम कर रही है।