मंथन बैठक में जयराम ठाकुर से पूछा जाना चाहिए था कि प्रदेश में कहां बनी उनकी भाजपा की सरकार : रायजादा

हमीरपुर /विवेकानंद वशिष्ठ :- प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं हमीरपुर संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे सतपाल सिंह रायजादा ने यहां जारी बयान में कहा है कि भाजपा की ऊना में हुई कार्यसमिति की मंथन बैठक में नेता विपक्ष जयराम ठाकुर से यह क्यों नहीं पूछा गया कि उपचुनावों में बार-बार वह भाजपा की सरकार बनने के बड़े-बड़े बयान देते रहे और जनसभाओं में बड़े-बड़े भाषणों में दावे करते रहे, कहां है ।

सरकार बनाने के बेबुनियाद दावों पर मंथन बैठक में कार्यकर्ताओं व जनता से माफी मांगते जयराम

अब उनकी सरकार? क्यों झूठे और बेबुनियाद बयान देकर भाजपा और अपनी विश्वसनीयता को गिराया गया? रायजादा ने कहा कि जयराम ठाकुर को इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान देकर प्रदेश की जनता के साथ-साथ अपनी पार्टी को गुमराह करने के लिए इस मंथन बैठक में सार्वजनिक तौर पर सबसे माफी मांगनी चाहिए थी।

 

उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार में अपने हर फैसले को चंद मिनटों में ही पलट देने के चलते पलटू राम की संज्ञा जयराम ठाकुर को मिली थी और अब सी.एम. बनने के सपने देखकर बेबुनियाद बयानबाजी करने के चलते जयराम ठाकुर को मुंगेरी लाल भी कहा जाने लगा है। उन्होंने कहा कि मंथन बैठक में अपनी हार पर खुलेआम चर्चा करने पर रोक लगाकर भाजपा नेता विरोध के स्वरों को नहीं दबा पाएंगे और न ही भाजपा के वरिष्ठतम नेता रमेश ध्वाला को बैठकों से दूर रखकर विरोध की ज्वाला को शांत कर पाएंगे।

 

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन लोटस किसने चलाया और इसके फेल होने पर किसके सिर पर इसकी जिम्मेदारी है यह भी सार्वजनिक करने से भाजपा आज डर रही है। अपने ऑपरेशन लोटस में भाजपा को एक ओर मुंह की खानी पड़ी है और जनता ने दोबारा से कांग्रेस को समर्थन देकर इस ऑपरेशन की हवा पूरी तरह से निकाल दी है।

 

रायजादा ने कहा कि सुक्खू सरकार ने राजनीति से ऊपर उठकर जनहित व प्रदेशहित के फैसले लिए हैं और इसी के चलते वह लोकप्रियता में सबसे आगे पहुंच चुके हैं। भाजपा की लोकप्रियता घटी है और इसके लिए जिम्मेदार भाजपा नेताओं पर कार्रवाई की बजाए विरोध करने वाले वरिष्ठ भाजपा नेताओं को भाजपा द्वारा कार्यवाही का डर दिखाया जा रहा है जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता खुलेआम भाजपा को नसीहतें दे रहे हैं जिससे यह साफ है कि भाजपा में सब कुछ अब ठीक नहीं चल रहा है। विद्रोह की चिंगारी कभी भी ज्वाला बनकर सामने आ सकती है।