शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि करोना काल में पूर्व कुलपति सिकन्दर कुमार द्वारा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्तियों को करवाया गया था। उसके बाद एसएफआई इन भर्तियों पर लगातार सवाल कर रही है और यह आरोप लगा रही है कि इन भर्तियो में काफी बड़े स्तर पर शैक्षणिक भ्रष्टाचार किया गया है।
इन भर्तियों का एक मामला हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के गणित विभाग में सामने आया और हाई कोर्ट तक पहुंचता है।
उसके बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा इस भर्ती पर फैसला सुनाया जाता है जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दो प्रोफेसर की भर्ती को रद्द करवाया जाता है। उसके बावजूद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पास ऑर्डर की कॉपी पहुंचती है। आज लगभग एक महीना होने वाला है परन्तु अभी तक भी उन आर्डर को इम्प्लीमेंट नहीं कर पाया है और ना ही उन प्रोफेसर को अभी तक विश्वविद्यालय से निकाल पाया है जो विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है पिछले लंबे समय से विश्वविद्यालय के अंदर यह देखने को मिल रहा है कि विश्वविद्यालय माननीय उच्च न्यायालय के फैसलों की आवेहलना लगातार कर रहा है।
एसएफआई यह मांग कर रही है कि जो उच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुनाया गया है उस फैसले को विश्वविद्यालय के कुलपति जल्दी से लागू करे।
एसएफआई इन भर्तियों का लगातार विरोध कर रही है और यह आरोप लगा रही है की इसी तरह विश्वविद्यालय के बाकी विभागो में अयोग्य लोगो को भरने का काम किया गया और एक ही विचारधारा के अयोग्य प्रोफेसर को भरने का काम प्रोफेसर सिकंदर कुमार द्वारा किया। जिसके चलते इस प्रोफेसर भर्ती में योग्य उम्मीदवारों को गलत तरीके से बाहर किया गया।
एसएफआई हिमाचल उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करती है और प्रदेश सरकार से मांग कर रही है कि इन भर्तियों की न्यायिक जांच की जाए और जो लोग गलत तरीके से भर्ती हुए है उन पर सख्त करवाई की जाए
एसएफआई हिमाचल प्रदेश सरकार से यह मांग कर रही है कि इन भर्तियों की न्यायिक जांच जल्दी से की जानी चाहिए इसके साथ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति है वह भी इन भर्तियों पर संज्ञान ने ले और इसकी जाँच करवाये।
एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि इन भर्तियों की न्यायिक जांच के लिए कमेटी गठित की जाए और इस पर जाँच करे। इसके साथ उच्च न्यायालय द्वारा जो फैसला सुनाया गया है उसको जल्दी से लागू करे। अगर इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन संज्ञान नहीं लेता है तो एसएफआई आने वाले समय में विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करेगी।