शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- 12 अगस्त के ऐतिहासिक दिन के उपलक्ष्य पर SFI कोटशेरा ने एक आम सभा का आयोजन किया। जिसमे मुख्य वक्ता एसएफआई राज्य अध्यक्ष अनिल ठाकुर थे। यह दिन भारतीय छात्र संगठनों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
अनिल ठाकुर ने कहा कि आज के दिन 12 अगस्त 1936 को देश का पहला छात्र संगठन अखिल भारतीय छात्र संघ (All India Students Federation) की स्थापना की गई थी। इस ऐतिहासिक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में छात्र संगठनों की भूमिका को सशक्त बनाने की नींव रखी थी।
इस अवसर पर एस एफ आई ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में छात्र संगठनों के महत्व और आज के समय में छात्र संगठनों की प्रासंगिकता के बारे में शिक्षित किया, जिन्होंने छात्र संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
कॉमरेड अनिल ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि छात्र संगठन न केवल स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं, बल्कि आज भी छात्रों के अधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने छात्रों को संगठित होकर सामाजिक और शैक्षणिक मुद्दों पर सक्रिय रूप से भाग लेने की प्रेरणा दी।
अपनी बात को आगे रखते हुए उन्होंने कहा कि आज शिक्षा के ऊपर सबसे बड़े हमले हैं। शिक्षा का लगातार निजीकरण, व्यापरीकरण और भगवाकरण किया जा रहा है। शिक्षा का निजी हाथों में देने का अर्थ है कि शिक्षा अब समाज के कुछ पूंजीपति घरानो तक सीमित रह गई है। जिसका परिणाम यह है कि समाज का एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो आज भी शिक्षा के लिए डर-डर की ठोकरे खा रहा है। जिसके खिलाफ एस एफ आई लगातार आंदोलनरत है।
अंत में एस एफ आई कोटशेरा इकाई अध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि एस एफ आई बीते 20 वर्षों से हॉस्टल के लिए संघर्ष कर रही है लेकिन अभी तक प्रशासन व सरकार के तंत्र द्वारा छात्रों की मूलभूत आवश्यकता हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध नहीं कर गई है। 2014 में हॉस्टल निर्माण कार्य के लिए फंड आ गया है। लेकिन कॉलेज प्रशासन द्वारा हमेशा ही हॉस्टल मुद्दे को लेकर छात्रों को गुमराह किया जाता है। प्रशासन का कहना है कि जमीन के अभाव के कारण हॉस्टल निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है।
पवन कुमार कहना है कि महाविद्यालय में प्रमुख पीटीए फंड का घोटाला देखने को मिलता है। साल 2020-21 में जब कोरोना काल का समय था उस समय भी कॉलेज प्रशासन द्वारा छात्रों से 21 लाख 60,000₹ पीटीए फंड के नाम पर इकट्ठा किया गया। जिसका ब्योरा कॉलेज प्रशासन के पास कहीं भी नहीं है कि वो फंड कहां इस्तेमाल किया गया। हालांकि एस एफ आई द्वारा उस चीज पर आरटीआई भी लगाई गई जिसमें कई सारे घोटाले देखने को मिलते हैं और कहीं ना प्रशासन के ऊपर भी प्रश्नचिन्ह खड़े होते हैं।
2014 के बाद छात्रों का जनवादी अधिकार छात्र संघ चुनाव पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिसके कारण प्रशासन व छात्र के बीच एक सामंजस्य का रास्ता समाप्त हो गया है। परिणाम स्वरूप कैंपस में प्रशासन की तानाशाही देखने को मिलती है। लगातार फीस वृद्धि का सबसे बड़ा कारण भी छात्र संघ चुनाव का ना होना है।
अंत में एस एफ आई ने समस्त छात्र समुदाय से आग्रह करते हुए कहा कि हमें इस सरकारी शिक्षा को बचाने के लिए और शैक्षणिक भ्रष्टाचार के खिलाफ हमें इकट्ठा होते हुए आंदोलन के माध्यम से लड़ने की आवश्यकता है। तभी इस देश में छात्रों के जनवादी अधिकारों की रक्षा, सार्वजनिक व समावेशी शिक्षा को बचाया जा सकता है