शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा परिसर में छात्र मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया। इस धरना प्रदर्शन का संचालन सचिवालय सदस्य साथी मुकेश द्वारा किया गया वह इसमें मुख्य वक्ता परिसर उपाध्यक्ष साथी साहिल थे।
धरने प्रदर्शन का संचालन करते हुए साथी मुकेश ने कहा कि आए दिन हमेशा पीएचडी में हमें घपले देखने को मिल रहे हैं प्रशासन अप्रोच सिस्टम के माध्यम से अपने चाहतों को पीएचडी में दाखिले देने का काम कर रहा है व योग्य छात्रों को पीएचडी प्रवेशों से बाहर किया जा रहा है।
इससे पहले भी पूर्व कुलपति सिकंदर कुमार के बेटे व उनके दो अन्य दोस्तों के बच्चों के पीएचडी में फर्जी दाखिले किए गए थे जो अभी तक प्रशासन ने रद्द नहीं किए व उन पर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इसके अतिरिक्त हाल ही में वाणिज्य विभाग में अनुसूचित जनजाति के छात्रों की पीएचडी सीट को अनारक्षित करके सामान्य में परिवर्तित कर अपने चाहतों को एचडी में प्रवेश दिया गया है। यह साफ तौर पर अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर सीधा हमला है वह साथ ही साथ अनुसूचित जनजाति के छात्रों के अधिकारों का हनन है।
धरने प्रदर्शन में मुख्य वक्ता के रूप में बात रखते हुए साथी साहिल ने कहा कि विश्वविद्यालय में तीन से चार हजार छात्रों की संख्या होने के बावजूद भी आज तक विश्वविद्यालय करीबन 1500 छात्रों के लिए हॉस्टल की सुविधा दे पाता है जबकि यह प्रतिशतता में बहुत कम है। काफी समय हो जाने के बावजूद भी विश्वविद्यालय आज तक नए छात्रावासों का निर्माण नहीं कर पाया है
जबकि हर वर्ष विश्वविद्यालय में नए छात्रावासों के निर्माण के लिए पर्याप्त राशि आती है। परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन के नकारात्मक रवैये के कारण हर वर्ष यह राशि वापिस चली जाती है। छात्रावासों के न होने की वजह से काफी सारे छात्रों को स्थानीय क्षेत्र में किराए के कमरा लेकर रहना पड़ता है जिनका किराया इतना ज्यादा है कि एक कमरे में कई छात्रों को इकट्ठे मिलजुल कर रहना पड़ता है
और वह कमरे ना ही रहने लायक होते हैं। जिस कारण सभी छात्रों को अपनी पढ़ाई करने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसी के साथ साथी साहिल ने फर्जी प्रोफेसर भर्ती के खिलाफ कार्यवाही करने की भी मांग उठाई जिसमें उन्होंने यह कहा कि जो 70% प्रोफेसर फर्जी तरीके से भरे गए हैं उन पर जल्द से जल्द कार्यवाही की जाए क्योंकि यह छात्रों के भविष्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ है वह योग्य छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने की एक साजिश है।
इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय नॉन सब्सिडाइज्ड सीटों के नाम पर भारी भरकम फीस छात्रों से वसूलने का काम कर रहा है और इन नॉन सब्सिडाइज्ड सीटों की संख्या हर वर्ष बढ़ाने की कोशिश की जा रही है जिसकी फीस एक आम परिवार का छात्र नहीं दे सकता है। जिसके कारण एक आम गरीब परिवार का छात्र उच्च शिक्षा से दूर होता जा रहा है।
आज के समय में घटिया इआरपी सिस्टम के माध्यम से छात्रों के परीक्षा परिणाम के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ किया जा रहा है जिसमें कई छात्रों को एक तरह के अंक दिए जा रहे हैं कई छात्रों की पूरी की पूरी कक्षाएं फेल कर दी जा रही हैं और कई छात्रों को समान अंक देकर पास किया जा रहा है।
इन सब अनियमितताओं के पीछे का कारण विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति करना होना है काफी लंबे समय से विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति नहीं है जिस कारण विश्वविद्यालय के सारे ढांचे में अनियमितताएं पाई जा रही हैं। अतः विश्वविद्यालय में जल्द से जल्द स्थाई कुलपति की नियुक्ति की जाए।
इन सब मुद्दों के पीछे का सबसे बड़ा कारण छात्र संघ चुनाव है जब से सरकार ने और विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव बंद किए हैं उसके बाद लगातार छात्रों के ऊपर शिक्षा विरोधी नीतियां थोपने का काम सरकार द्वारा और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किया जा रहा है।
प्रत्यक्ष छात्र संघ चावन पर प्रतिबंध लगाकर सरकारों ने वह प्रशासन ने छात्रों का गला घोटने का काम किया है जिससे छात्रा खुले तौर पर अपनी आवाज प्रशासन व सरकार के समक्ष नहीं रख पा रहा है अतः एसएफआई यह मांग करती है कि जल्द से जल्द प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव बहाल किए जाएं व छात्रों को उनके चुनने व चुने जाने का अधिकार दिया जाए।
एसएफआई यह मांग करती है कि यदि इन उपरोक्त मांगों पर सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया तो सफी पूरे हिमाचल प्रदेश के छात्रों को लामबंद करते हुए एक बड़े व उग्र आंदोलन की तरफ जाएगी जिसकी पूरी जिम्मेदारी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन व प्रदेश सरकार की होगी।