सीटू ने श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष व सचिव का किया घेराव

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   सीटू से सबंधित मनरेगा एवं निर्माण मज़दूर यूनियन ने आज राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्य्क्ष नरदेव कवंर व सचिव राजीव कुमार का शिमला के परिमहल स्वास्थ्य परिसर में प्रदर्शन व घेराव किया जिसका नेतृत्व सीटू राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मैहरा महासचिव प्रेम गौतम उपाध्यक्ष जगत राम निर्माण फेडरेशन के राज्य अध्यक्ष जोगिंदर कुमार महासचिव भूपेंद्र सिंह ने किया।

एक लाख मज़दूरों की चार साल से लंबित पांच सौ करोड़ की वित्तिय सहायता जारी न होने पर किया उग्र प्रदर्शन

घेराव में अमित कुमार, राजेश ठाकुर, रंजन शर्मा, चमन ठाकुर, बालक राम, दलीप सिंह, गुरदास वर्मा, राजेश तोमर, विरेंद्र लाल, नोख राम, पूर्ण चंद, निशा, उमा, वंदना, दिनेश काकू, ललित, राजकुमार, दिनेश मेहता, राजपाल भंडारी, चंद्रपाल पिंकू, प्रदीप कुमार, अंकुश कुमार, ओमप्रकाश, हेमराज, प्रेम प्रकाश, केशव, सहित सैंकड़ों मज़दूर शामिल रहे।

यूनियन ने बोर्ड पदाधिकारियों का घेराव 47वीं बोर्ड बैठक जो कुसुमटी के परीमहल स्तिथ स्वास्थ्य विभाग के प्रशिक्षण संस्थान में होना तय थी तो बैठक स्थल के प्रवेश द्वार पर यूनियन के पदाधिकारी व सैंकड़ों मज़दूरों ने उनका घेराव कर दिया और उन्हें मांगपत्र सौंपा तथा मांगो को एक महीने के अंदर पूरा करने के आश्वाशन के बाद उन्हें अंदर मीटिंग में जाने दिया गया।

 

मनरेगा एवं निर्माण यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष जोगिंद्र कुमार तथा राज्य महासचिव एवं बोर्ड सदस्य भूपेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान कांग्रेस सरकार के समय में गठित बोर्ड के दो साल हो गए हैं और आज उसकी सातवीं बैठक हो रही है लेक़िन इन दो सालों में मज़दूरों के कल्याण के लिए कम और उनके क़ानूनी अधिकार छिनने का काम ज़्यादा किया गया है और बोर्ड में एक लाख से ज़्यादा मज़दूरों की 500 करोड़ रुपये की वित्तिय सहायता गैर कानूनी तौर पर रोकी गयी है।जबकि अधिकारियों के यात्रा भत्तों, गाड़ियों व सैर सपाटे पर ही इस दौरान ख़र्च किया गया है।

 

यूनियन मजदूरों की वित्तिय सहायता जारी करने की मांग दो साल से लगातार उठा रही है और बोर्ड बैठकों में भी यूनियन प्रतिनिधि मांग उठाते रहे हैं और निर्णय होने के बाबजूद बोर्ड के अध्य्क्ष व अधिकारी उनको लागू नहीं कर रहे हैं और हर मीटिंग में नया एजेंडा ले आते हैं और पिछलों को भूल जाते हैं और पिछलों को लागू नहीं कर रहे हैं।

 

अक्टुबर माह में आयोजित गत 46वीं बैठक में 31 दिसंबर तक पचास प्रतिशत लंबित लाभ जारी करने का निर्णय लिया गया था लेकिन उस पर कोई एक्शन नहीं किया गया और आज की मीटिंग में तो इसे एजेंडे में ही नहीं रखा गया है और न ही ऐक्टन टेक्टन रिपोर्ट में इसका उल्लेख है।

 

इस प्रकार पिछले चार साल की एक लाख से ज़्यादा मज़दूरों की पांच सौ करोड़ रुपये की वित्तिय सहायता रोकी गयी है। इसके अलावा वर्तमान सरकार के समय के समय में ग्राम पंचायतों में काम करने वाले ग्रामीण मज़दूरों को बोर्ड से बाहर करने के एक गलत निर्णय के कारण उनका नवीनीकरण नहीं हुआ था जिसकारण सत्तर प्रतिशत मज़दूरों के पंजीकरण कॉर्ड समाप्त हो गए हैं

 

और उन्हें रिन्यू करने के लिए 8 अगस्त 2024 की बोर्ड बैठक में फ़ैसला हो चुका था लेकिन आज तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं कि गयी है। अक्टुबर महीने की बैठक के कुछ दिनों बाद बोर्ड ने मज़दूरों की इकेवाईसी जो लोकमित्र केंद्रों के माध्य्म से हो रही थी उसे समाप्त कर दिया और अब बोर्ड के कर्मचारियों ने बोर्ड में चर्चा किये बगैर एक ऐप जारी करके उसे बोर्ड के कर्मचारियों के माध्य्म से करने के आदेश जारी कर दिए हैं जिससे ईकेवाईसी करने भी देरी हो रही है और कर्मचारियों ने जो मज़दूरों की वित्तिय सहायता जारी करने का काम करना था उसमें भी देरी हो रही है।

 

अब सरकार ने बोर्ड में निर्णय लिए बगैर इसका कार्यालय हमीरपुर शिफ़्ट करने का निर्णय ले लिया है जबकि क़ानून के अनुसार ये फ़ैसला बोर्ड बैठक में लिया जाना था। इस प्रकार और भी कई फैसले बोर्ड के बारे में राजनैतिक तौर पर अधिकारी अपनी मनमर्ज़ी से ले रहे हैं और नियमों की उलंघन्ना कर रहे हैं। जानबूझकर पुराने मज़दूरों के आवेदनों को स्वीकृत नहीं किया जा रहा है और कुछ प्रौग्रेस दिखाने के लिए नए आवेदनों को स्वीकृति प्रदान की जा रही है और बहुत से पुराने आवेदनों को कई बार राज्य ऑफ़िस से ज़िलों को भेजा गया और उन्हें पैंडिंग रखा गया है।

 

बोर्ड में स्थायी सचिव न होने के कारण इसमें और ज़्यादा बिलंब हो रहा है और वर्तमान में जो सचिव लगाए गए हैं वे मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के साथ साथ तीन चार अन्य विभागों का काम भी देख रहे हैं। इसलिए सीटू ने मांग की है कि बोर्ड का स्थायी सचिव व मुख्य कार्यकारी अधिकारी लगाया जाए और बोर्ड राज्य कार्यालय के साथ साथ ज़िला व उप कार्यालयों में ख़ाली पदों को जल्द भरा जाए। बोर्ड के अध्यक्ष ने यूनियन के मांगपत्र में उठायी गयी माँगों को एक महीने में पूरा करने का आश्वासन दिया। यूनियन पदाधिकारियों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यदि एक महीने में मज़दूरों की लंबित वित्तिय सहायता जारी न हुई तो बोर्ड कार्यालय पर निरन्तर धरना प्रदर्शन शुरू किया जायेगा।