अनुराग से बैर नहीं, राणा तेरी खैर नहीं

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ  :-  हमीरपुर की जनता इस बार होने वाले उपचुनाव में अपना क्या निर्णय लेगी यह तो वक्त बताया लेकिन अभी जनता या कह रही है कि हमें अनुराग से कोई बैर नहीं है लेकिन हम राणा को इस बार नहीं छोड़ेंगे।
आया राम गया राम इस बार नहीं चलेगा 
हमीरपुर के आम लोगों का कहना है कि राणा को मंत्री ना बनाने जाने पर उन्होंने पार्टी ही बदल दी क्योंकि वह अपनी महत्वाकांक्षा के लिए कभी एक पार्टी में जाते हैं तो कभी दूसरी में
जिन लोगों को पहले वह कोसते थे अब उन्हें ही लग रहे हैं गले 
लोगों को कहना है कि जिस पार्टी में रहकर वह कभी दूसरी पार्टी के लोगों को भला बुरा कहते थे उनकी विचारधारा से अस्मत होते थे आज उन्हीं के पास जाकर उनको गले से लगा रहे व छू रहें उन के पांव
पांव तो छुए पर क्या आशीर्वाद मिला
लोगों का कहना है कि धूमल साहब के पास जाकर राणा ने पांव छूए और आशीर्वाद भी लिया लेकिन क्या धूमल साहब उन्हें दिल से आशीर्वाद दे पाए क्योंकि कभी राणा की वजह से ही धूम साहब हारे थे उनका राजनीतिक कैरियर समाप्त हुआ था ।
गुरु की पीठ पर छुरा मारना क्या सही था
राजेंद्र राणा भले ही धूमल साहब को अपना राजनीतिक गुरु मानते हो लेकिन कभी उन्हीं गुरु को हराकर सत्ता प्राप्त की थी और गुरु का राजनीतिक कैरियर खत्म कर दिया था आज भले ही समय करवट ले चुका हो लेकिन या बात भी सही है कि धूमल साहब राणा की वजह से ही घर पर बैठे हुए हैं।
एक वोट पीएम तो एक सीएम को
हमीरपुर के लोगों का कहना है कि हम केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार चाहते हैं लेकिन हिमाचल में सीएम सुक्खू को नहीं खोना चाहते।  हमीरपुर की आम जनता का कहना है कि बाकी प्रदेश से हमें पता नहीं लेकिन हमीरपुर इस बार पुरानी गलती नहीं दोहराएगा। आम लोगों का कहना है कि इस बार बात कांग्रेस और बीजेपी की नहीं है बात है अपने सीएम की और सीएम हमीरपुर का ही रहेगा।
इस बार हम अपने सीएम का साथ देंगे। अब हमीरपुर की जनता क्या सच में ही ऐसा चाहती है या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा