नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट की याचिका को सात मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा. इस आदेश में नार्वेकर ने जून 2022 में पार्टी के विभाजन के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को “असली राजनीतिक दल” घोषित किया था.
ठाकरे गुट की याचिका को प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना था. ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने याचिका का उल्लेख किया और कहा कि आज जिन मामलों की सुनवाई होनी थी उसकी सूची में यह नहीं था. पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. पीठ से उन्होंने आग्रह किया कि इस मामले को सात मार्च को सूचीबद्ध किया जाए.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “हम इसे सात मार्च (बृहस्पतिवार) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि कई मामले जिन्हें एक मार्च को सूचीबद्ध किया जाना था, उन्हें सूची में शामिल नहीं किया जा सका क्योंकि पीठ को जल्द कार्यवाही समाप्त करनी थी. सिब्बल की ओर से पांच और 12 फरवरी को याचिका का उल्लेख करने के बाद शीर्ष अदालत ने इसे जल्द सूचीबद्ध करने का आश्वासन दिया था.
उच्चतम न्यायालय ने 22 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को चुनौती देने वाली ठाकरे गुट की याचिका पर मुख्यमंत्री शिंदे और उनके समूह के अन्य विधायकों को नोटिस जारी किया था. तब उच्चतम न्यायालय ने इसे दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था. ठाकरे गुट का आरोप है कि शिंदे ने “असंवैधानिक तरीके से सत्ता हासिल की ” और महाराष्ट्र में “असंवैधानिक सरकार” का नेतृत्व कर रहे हैं.
नार्वेकर ने 10 जनवरी को पारित एक आदेश में शिंदे समेत सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की ठाकरे गुट की अपील खारिज कर दी थी. ठाकरे गुट ने विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को “स्पष्ट रूप से गैरकानूनी और गलत” बताया और कहा कि दल-बदल के कृत्य को दंडित करने के बजाय दल-बदलुओं को पुरस्कृत किया गया है.
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FIRST PUBLISHED : March 1, 2024, 14:57 IST